Khejarli Movement | खेजड़ली आंदोलन | खेजड़ली बलिदान | Bishnoi Movement
Khejarli Movement: खेजड़ली बलिदान विश्व का एकमात्र अहिंसात्मक वृक्ष बचाओ आंदोलन है। 12 सितंबर सन् 1730 में अमृता देवी बिश्नोई सहित 363 बिश्नोई खेजड़ी हरे वृक्षों को बचाने के लिए खेजड़ली में शहीद हुए थे। खेजड़ली बलिदान (Bishnoi Movement) जोधपुर से 26 किमी दूर स्थित गांव खेजड़ली में घटित हुआ। इस गाँव में खेजड़ी वृक्षों की बहुतायत के कारण इसका नाम खेजड़ली पड़ा है।
सिर सांटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण
अमृता देवी बिश्नोई
विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला खेजड़ली में वृक्षों के लिए शहीद हुए 363 बिश्नोईयों की याद में लगता है।
FAQ खेजड़ली बलिदान के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?
Q. विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला कहां आयोजित होता है?
विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला खेजड़ली में आयोजित होता है। यह वृक्ष मेला खेजड़ली में वृक्ष रक्षार्थ शहीद 363 बिश्नोईयों की स्मृति में आयोजित होता है।
Q. वृक्षों के लिए बलिदान देने वाली महिला का नाम क्या है?
वृक्षों के लिए शहीद होने वाली महिला का नाम अमृता देवी बिश्नोई है।
Q. खेजड़ली मेला कब आयोजित होता है ?
खेजड़ली मेला प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी को आयोजित होता है।
Q. खेजड़ली कहां स्थित है?
खेजड़ली जोधपुर से 26 किमी दूर स्थित है।
Q. खेजड़ली बलिदान दिवस कब मनाया जाता है?
खेजड़ली बलिदान दिवस भाद्र शुक्ल दशमी को मनाया जाता है।
Q. अमृता देवी कौन थी?
अमृता देवी जोधपुर के खेजड़ली गांव की रहने वाली थी। विश्व का एकमात्र अहिंसात्मक वृक्ष बचाओ आंदोलन खेजड़ली का नेतृत्व अमृता देवी बिश्नोई ने किया था।
Q. खेजड़ली आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
खेजड़ली आंदोलन का नेतृत्व अमृता देवी बिश्नोई ने किया था।
Q. खेजड़ली आंदोलन कब हुआ?
12 सितंबर सन् 1730 खेजड़ली आंदोलन हुआ जिसमें 363 बिश्नोई पुरुष व स्त्रियों ने हरे वृक्ष बचाने के लिए अहिंसात्मक रूप से प्राणोत्सर्ग किया।
Q. खेजड़ली बलिदान किस राजा के राज में हुआ?
खेजड़ली बलिदान राजा अभयसिंह के राज में हुआ?
Q. खेजड़ली आंदोलन का क्या प्रभाव हुआ?
राजा ने बिश्नोई गांवों के अंदर हरे वृक्षों को काटने वह शिकार गतिविधियों पर पूर्णता प्रतिबंध लगा दिया।
Q. अमृता देवी का नारा क्या था?
"सिर सांटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण" का नारा देकर अमृता देवी खेजड़ी के वृक्ष से लिपट कर शहीद हुई।
Q. चिपको आंदोलन की शुरुआत कब हुई?
सर्वप्रथम संवत 1787 मैं जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में वृक्षों को बचाने के लिए 363 बिश्नोई लोगों ने पेड़ों से लिपट कर प्राणोत्सर्ग किया। यह विश्व में प्रथम घटना थी है जब एक साथ इतनी संख्या में लोगों ने पेड़ों से लिपट कर जान दी और वृक्षों को बचाया। खेजड़ली बलिदान (BISHNOI Movement) को चिपको आंदोलन की प्रेरणा माना जाता है।
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